बेटे का पिता से संवाद

 बेटे का पिता से संवाद

बेटे का पिता से संवाद हे जो अगर बेटा समझ  सके तो उस के जीवन की बुनियाद हे 
बेटा अपने नजरिए से दुनिया देखता हैऔर पिता अपने जिंदगी के अनुभव से उसे समझाता है
बेटे ने कहा एक तिनका तो ही है
पिता ने कहा तिनके तिनके से घर बनते देखा है। 
बेटे ने कहा एक दाना तो ही हे
पिता ने कहा दाने दाने से अन्न बनते देखा है
बेटे ने कहा एक रुपया ही तो हे 
पिता ने कहा रुपया रुपया से बचत बनते देखा है
बेटे ने कहा एक आदमी ही तो है
पिता ने कहा आदमी आदमी से समाज बनते देखा है
बेटे ने कहा एक आंसू ही तो है
पिता ने कहा आंसू आंसू  से मन के भाव बनते देखा हे 
बेटे ने कहा एक परिचित ही तो हे
पिता ने कहा मित्र मित्र से परिवार  बनते देखा हे
अब बेटा थोड़ा संजीदा और समझदार था 
देश और दुनिया के हालात से खबरदार था
बेटे ने कहा एक मजदूर ही तो है
पिता ने कहा मजदूर मजदूर से सृजन होते देखा है
बेटे ने कहा अपनें धर्म का ही तो है
पिता ने कहा धर्म धर्म से भारत बनते देखा है
अब पिता ने बेटे को समझाया और अपने तजुर्बे का चश्मा लगाया 
बोले बूंद बूंद संचय से सागर बनता हे 
एक एक मिनट से जीवन  बनता हे  
सर्वधर्म से भारत बनता है जीवन ऐसे ही आगे बढ़ता है 

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चित्र पिक्सेल के सौजन्य से 


 

25 टिप्पणियाँ

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  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. बेटे ने कहा अपनें धर्म का ही तो है
    पिता ने कहा धर्म धर्म से भारत बनते देखा है
    अब पिता ने बेटे को समझाया और अपने तजुर्बे का चश्मा लगाया
    बोले बूंद बूंद संचय से सागर बनता हे
    एक एक मिनट से जीवन बनता हे
    सर्वधर्म से भारत बनता है जीवन ऐसे ही आगे बढ़ता है ¡,,,,,,,, बहुत सुंदर पिता एवं पुत्र का संवाद, आदरणीय शुभकामनाएँ ।

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  3. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 16-10-2020) को "न मैं चुप हूँ न गाता हूँ" (चर्चा अंक-3856) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.

    "मीना भारद्वाज"

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ अक्टूबर २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  5. अहा ! पिता और पुत्र का अद्भुत संवाद । जीवन का समग्र सार । अति सुंदर ।

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  6. बेटे का नजरिया पिता का अनुभव...
    बहुत ही सुन्दर सार्थक संवाद पिता पुत्र मध्य
    वाह!!!

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  7. बहुत खूब राकेश जी। प्रेरक अभिव्यक्ति।।।

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  8. सुन्दर सार्थक संवाद ...
    अनुभव और नव पीढ़ी का संवाद जरूरी है ...

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