तलवार उठा तू बन क्षत्रानी

तलवार उठा तू बन क्षत्रानी 

वर्तमान में बेटियों को कुछ सिखाए ना सिखाए मगर आत्मरक्षा के गुण जरूर सिखाएं

तलवार उठा तू बन क्षत्रानी बाजुओं का जोर सही
तू  धर काली का रूप असुर छुपे चहुं ओर सही
कर तू रक्त रक्त नर पिशाच चहुं ओर यही
हे नारी तू  है शक्ति  तू निर्बल, अनाथ नहीं
कर इन दुष्टों का नाश इन्हे तेरे दूध की लाज नहीं
तलवार उठा  नारी कर स्वयं और विश्व की रक्षा
अब इन निर्लज्ज मानव पशुओं का चीत्कार सही
नारी तू मां है,परिणीता है, सृजन और पोषण का आधार
जब हुआ रुदन धरती का जब दमन हुआ तेरी काया का
तो हे मां कर वध इन दुष्टों का इन के कुल का संहार सही
भले ही ये पोषित पितृ सत्ता से इन का विध्वंस सही
तलवार उठा तू रण चंडी इन लोलूपो का विनाश सही
मारो इन  राक्षसों को अब लहू की ललकार सही
डरो ना नारी तुम डरो ना बेटी तुम ममता तुम करुणा
तुम जननी इस धरा का तुम आधार सही मगर हे नारी
इस युग में पापियों के विनाश हेतु काली का रूप सही
तलवार उठा तू बन  क्षत्रानी  बाजुओं का जोर सही

Girl
चित्र  गूगल के सौजन्य से




22 टिप्पणियाँ

आपके सुझाव एवम् प्रतिक्रिया का स्वागत है

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०३-१०-२०२०) को ''गाँधी-जयंती' चर्चा - ३८३९ पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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  2. हे नारी तू है शक्ति तू निर्बल, अनाथ नहीं
    कर इन दुष्टों का नाश इन्हे तेरे दूध की लाज नहीं
    तलवार उठा नारी कर स्वयं और विश्व की रक्षा
    अब इन निर्लज्ज मानव पशुओं का चीत्कार सही..
    ओजपूर्ण भाव लिए नारी जाति का आह्वान करती हृदयस्पर्शी रचना ।

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  3. इस युग में पापियों के विनाश हेतु काली का रूप सही
    तलवार उठा तू बन क्षत्राणी बाजुओं का जोर सही
    बिलकुल सही
    जो इंसान नहीं उन्हें उनकी ही भाषा में जवाब देने जरुरी है आज

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  4. बहुत सुंदर सार्थक सृजन ।
    आह्वान कर रहा है हर नारी को हर पुत्री को ।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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  5. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन।

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  6. नारी शक्ति को नमन् करती प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई

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  7. विडंबना यही है कि आज भी लोग बेटियों को संगीत, नृत्य, पैकिंग आदि के8 क्लास तो करवाते है लेकिन अभी भी जुडो कराटे सिखाने में पीछे है। बहुत सुंदर रचना।

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  8. रक्त में उबाल लाती प्रभावी रचना!

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    उत्तर
    1. धन्यवाद आदरणीय गजेन्द्र सर सादर आभार

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  9. मारो इन राक्षसों को अब लहू की ललकार सही
    डरो ना नारी तुम डरो ना बेटी तुम ममता तुम करुणा,,,,,, बहुत अच्छी रचना ।

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  10. हे नारी तू है शक्ति तू निर्बल, अनाथ नहीं
    कर इन दुष्टों का नाश इन्हे तेरे दूध की लाज नहीं
    तलवार उठा नारी कर स्वयं और विश्व की रक्षा
    अब इन निर्लज्ज मानव पशुओं का चीत्कार सही..
    नारी को वीरांगना बनना होगा आत्मरक्षा हेतु ...
    बहुत ही सुन्दर प्रेरक एवं सार्थक सृजन
    वाह!!!

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