सहनशीलता
सासु मां बहुत खुश थी इस बार छवि और रुद्र ज्यादा समय यहां रुकेंगे रुद्र और छवि ने वर्क फ्रॉम होम का ऑप्शन चुन कर दिसंबर तक अपने घर आ गए थे बच्चे भी खूब खुश थे खेलने के लिए बड़ा सा घर और आंगन ,दिन भर उठापटक । वैसे तो छवि एक मॉर्डन बहू और आईटी कंपनी में जॉब पर थीं लेकिन उस की अपनी सासू माँ से अच्छी पटती थी
आप की सहनशक्ति गजब की हैं मम्मी जी पापा जी आप पर इतना चिल्लाते है झल्लाते है यहाँ तक के अपशब्द भी बोल देते है फिर भी आप सब सुन लेती है तत्काल सेवा में हाजिर,मेरा जैसा हो तो जाए अपनी बला से छवि अपनी सासू माँ से बोली
सास बोली कहने दे बेटा आज से थोड़े ही सुन रही हूं चालीस साल हो गए इन्हें सुनते सुनते अब इतनी निकल गई थोड़ी और सही ,हमेशा गुलाम समझा हे इन्होने तो कई बार आप भी खो चुके है
इसकी जिम्मेदार भी तो आप ही है मम्मी जी आप आत्मनिर्भर नहीं थीं इसलिए आप ने सहा हैं आप डरती हे इसलिए !आजकल की लड़की यह सब सहन नहीं करती छवि ने बात काटते हुए बोला सास बोली ऐसा नहीं है बेटा में भी इन के बराबर ही कमाती थीं रूद्र को सँभालने के कारण मुझे मेरा जॉब छोड़ना पड़ा में ही नहीं ऐसी सैकड़ों महिलाए थीं जो चाहतीं तो एक पल में छोड़ देती परन्तु फिर ना तो परिवार बचते ना ही रुद्र जैसे महिलाओं को आदर सम्मान देने वाली पीढ़ी तैयार होती परिवार तोड़ना छोड़ना बहुत आसान है और बनाए रखना बहुत ही मुश्किल। छवि को अहसास हुआ 40 साल पहले की परिस्थिति में परिवार को संबल देने के लिए सासु माँ ने बड़ा त्याग किया छवि को जाने अंजाने सहनशीलता का पाठ समझ आ चुका था
चित्र -: पिक्बे के सौजन्य से |
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (02-12-2020) को "रवींद्र सिंह यादव जी को बिटिया के शुभ विवाह की हार्दिक बधाई" (चर्चा अंक-3903) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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धन्यवाद आदरणीय शास्त्री सर
हटाएं"तोड़ना छोड़ना बहुत आसान है और बनाए रखना बहुत ही मुश्किल।" बिल्कुल सही 👌
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय पांडेय जी
हटाएंसच है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जोशी सर
हटाएंबहुत सुंदर प्रेरणादायक कहानी
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंBahut hi prerak kahani .
जवाब देंहटाएंhttps://bit.ly/3nXzPcA
आभार
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी
हटाएंहृदयस्पर्शी कथानक
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वर्षा जी
हटाएंदिल को छूती कहानी।
जवाब देंहटाएंआभार ज्योति जी
हटाएंनारी मजबूत थी है और रहेगी ... किसी भी समय किसी भी हाल में ...
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंआभार नासवा जी
हटाएंआप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
जवाब देंहटाएंThank you for this article. This is very informative and useful.
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