मानसून
देख धरा का अनुपम हरित श्रृंगार
बार बार मन में उठे एक विचार
वो करू जिसका वर्षों से था इंतजार
कुछ बीज एक गठरी में बांध रख छोड़े
आज हाथ लगे बहुत लगे भले ही थोड़े
मानसून आने का देख कर शुभ संकेत
नफरत ईर्ष्या धोखे की खरपतवार हटा के
मिट्टी को खोदा बीजों के अनुकूल बनाया
प्रेम आभार विश्वास और मेहनत के बीजों को
फिर बीजों को मिट्टी के गर्भ में पोषित करवाया
उम्मीदों का मानसून खूब घुमड़ घुमड़ के आयेगा
धरती पर छम छम करता रिम झिम गीत गाएगा
प्रेम आभार विश्वास और मेहनत के बीजों को
फलों फूलों उन्नति करो का आशीष दे जाएगा
हर वृक्ष ,हर वेल हर पुष्प प्रेम गीत गाएगा
चित्र :- साभार पिक्स बे |
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 11 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार अग्रवाल सर
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-08-2020) को "श्री कृष्ण जन्माष्टमी-आ जाओ गोपाल" (चर्चा अंक-3791) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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योगिराज श्री कृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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धन्यवाद शास्त्री सर
हटाएंसुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जोशी और
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंGreat work bro keep going. 👍👍
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता.. बधाई 💐
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग साहित्य वर्षा पर भी पधारें 🙏
लिंक दे रही हूं -
https://sahityavarsha.blogspot.com/2020/08/blog-post_12.html?m=1
धन्यवाद वर्षा जी
हटाएंभावपूर्ण ... वर्षा के आते ही हरियाली आ जाती है ....
जवाब देंहटाएंलाजवाब भावपूर्ण रचना ... श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ....
आभार आदरणीय दिगंबर सर
हटाएंबहुत सुन्दर सृजन .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीना जी
हटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना, आभार
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय जी सादर
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