मानसून

 मानसून

देख धरा का अनुपम हरित श्रृंगार

बार बार मन में उठे एक विचार

वो करू जिसका वर्षों से था इंतजार

कुछ बीज एक गठरी में बांध रख छोड़े 

आज हाथ लगे बहुत लगे भले ही थोड़े 

मानसून आने का देख कर शुभ संकेत 

नफरत ईर्ष्या धोखे की खरपतवार हटा के

मिट्टी को खोदा बीजों के अनुकूल बनाया

प्रेम आभार विश्वास और मेहनत के बीजों को

फिर बीजों को मिट्टी के गर्भ में पोषित करवाया

उम्मीदों का मानसून खूब घुमड़ घुमड़ के आयेगा

धरती पर छम छम करता रिम झिम गीत गाएगा

प्रेम आभार विश्वास और मेहनत के बीजों को

फलों फूलों उन्नति करो का आशीष दे जाएगा

हर वृक्ष ,हर वेल हर पुष्प प्रेम गीत गाएगा

seeds
चित्र :- साभार पिक्स बे  


15 टिप्पणियाँ

आपके सुझाव एवम् प्रतिक्रिया का स्वागत है

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 11 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. धन्यवाद शास्त्री सर

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  3. सुंदर कविता.. बधाई 💐

    कृपया मेरे ब्लॉग साहित्य वर्षा पर भी पधारें 🙏
    लिंक दे रही हूं -
    https://sahityavarsha.blogspot.com/2020/08/blog-post_12.html?m=1

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  4. भावपूर्ण ... वर्षा के आते ही हरियाली आ जाती है ....
    लाजवाब भावपूर्ण रचना ... श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ....

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  5. बहुत ही भावपूर्ण रचना, आभार

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