बगुला भगत
काफी समय पहले पढ़ी ये कहावत वर्तमान के राजनीतिक परिदृश्य को देख कर याद आ गई जिस तरह सरकारी एजेंसियों के डर से विचारधारा बदल रहीं हैं, भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे नेता दल बदलने के बाद अचानक ही ईमानदार या आरोप मुक्त घोषित हो रहे हैं ईन नेताओ का जिन राजनीतिक विचारों को पोषित करते करते जीवन बीत गया वो आदर्श,विचारधारा बेमानी साबित हो रही है ,भारतीय राजनीतिज्ञों का ड्रेस कोड सफेद कुर्ता पजामा है जिस में ये बगुला भगत लगते हैं और शिकार पीढ़ियां दर पीढ़ियां ईन का समर्थन करने वाले आमजन है, चुनाव के समय ये मतदाता हैं और चंदा लेते समय वोट प्रतिशत है,
छल केवल आम मतदाता या कट्टर समर्थक के साथ हो रहा है बाकी नेता तो बगुला भगत बने हुए हैं.
हैं.आम आदमी को रोज डराया जा रहा है पहले मुगल,फिर अंग्रेज अब नेता मगर प्रजा अभी भी गुलाम है नेता जांच से बचने और खुद को बचाने के लिए निष्ठा बदल रहें हैं, जो भ्रष्टाचारी है वो दल विशेष मे आ के विरोध मुक्त है और अंततः देखा जाये तो अभिनेता और क्रिकेटर जो युवाओ के रोल मॉडल है पानमसाला और कैफीन ड्रिंक बेच रहें हैं और नेता वोटर को बेच रहें हैं
भगत हो लें फिर दुनियां मुट्ठी में कर लें | फिर बगुला हो या कौआ क्या फर्क पड़ना?
जवाब देंहटाएंजी हाँ पहला चुनाव ऐसा है जिस में कम बुरे का चुनाव करना है
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