इंतजार


 इंतजार

love
चित्र पिक्स बे से साभार 
















कुछ नहीं बदला है तुम्हारे इंतजार में 
न वो घड़ी थकी है न उसके कांटे 
आज भी रखा  है कॉफी का मग 
तुम्हारे ओठों के निशान लिए 
सूरज की तपिश भी वैसी ही है
चांद की चांदनी भी पहले सी ठंडी 
बारिश भी तन मन भिगोते हुए 
आँखे भी नम करती हे वैसे ही 
किताबो में रखी चिट्ठियों के साथ 
रखे गुलाब आज भी उतने सुर्ख हे 
आज भी साथ रहती है किताबे 
रात भर तुम्हारी याद बन कर 
अगर कोई बदला है तो बस ये 
उनींदी आखे क्या पता क्या ढूंढ़ती है 
न खुद सोती है ना सोने देती है 
अब तो ख्बाब भी नहीं देखने देती  
अब दोस्ती हे करवटों व सलवटों से 
कम से कम वक्त बेवक्त साथ तो देती हे  
लौट आओ और लौटा दो मेरे वजूद को 
अपनी मुस्कान से जिन्दा कर दो तुम 
मेरे होने के अहसास को ........
लौट आओ कुछ नहीं बदला है तुम्हारे इंतजार में

इंतजार,कविता

27 टिप्पणियाँ

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    1. अति उत्तम कविता
      मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (06-07-2020) को 'मंज़िल न मिले तो न सही (चर्चा अंक 3761) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

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    उत्तर
    1. धन्यवाद रवीन्द्र सिंह यादव जी हार्दिक आभार सादर

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  3. सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी सादर

      हटाएं
  4. सजल मनुहार के साथ इंतजार की पीड़ा की मार्मिक अभिव्यक्ति राकेश जी। 👌👌शुभकामनायें और आभार 💐💐🙏💐💐

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  5. हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति ...असहज माहौल है मन में व्यकुलता सहज ही पनप जाती है.सुंदर लेखन हेतु बधाई आदरणीय सर.
    सादर

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  6. इंतज़ार के पाली आसानी से नहीं बीतते
    वो समय रुक जाता है ... सब कुछ वैसा ही रहता है जैसे था ... ठीक मिलन के लम्बे जैसा ...
    अच्छी रचना है राकेश जी ...

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  7. मर्मस्पर्शी सृजन सर।
    सादर।

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  8. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 16 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. ये रचना भी प्यारी है और इसकी हेडिंग भी बहुत सटीक है

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